एक रूह की आत्मकथा - 1 Ranjana Jaiswal द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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एक रूह की आत्मकथा - 1

(भाग एक )

मैं कामिनी हूँ,मिस कामिनी ।हाँ,इसी नाम से दुनिया मुझे जानती है।दुनिया...विशेषकर ग्लैमर की दुनिया।जगमगाती ....चकाचौंध से भरी ग्लैमर की दुनिया।
जानती है ....नहीं.. नहीं .…जानती थी।अब मैं इस दुनिया का हिस्सा नहीं हूँ।मेरी बेरहमी से हत्या कर दी गई है।
मेरी हत्या को स्वाभाविक मृत्यु दिखाने की कोशिश की जा रही है,पर मेरे करोड़ों चाहने वालों ने हंगामा खड़ा कर दिया है।अब पुलिस और तमाम जाँच -एजेंसियां मेरी हत्या के सूत्रों की तलाश कर रही हैं।मैं सब कुछ देख रही हूँ।जी चाहता है चीख -चीख कर सबको सारा सच बता दूँ,पर मेरी जुबाँ को मानो लकवा मार गया है।मेरे हाथ- पैर हिलते ही नहीं।मेरा खूबसूरत जिस्म काला- स्याह पड़ चुका है।मेरे हत्यारे खुद हत्यारे की तलाश का दिखावा कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर मैं इतनी छाई हुई हूँ,जितनी जिंदा रहते भी नहीं थी।मेरे बारे में तमाम झूठी -सच्ची कहानियाँ गढ़ी जा रही हैं।आम अफवाहें हैं।
मुझे खराब स्त्री कहने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है।मैं शराबी,ड्रगिस्ट,अय्याश औरत कही जा रही हूँ।।मेरी महत्वाकांक्षा को गलत साबित करने वालों की एक भीड़ है।
वैसे इसमें कोई नई बात नहीं है।जो भी औरत मर्दों के क्षेत्र में उतरती है ,उसे महत्वाकांक्षी कहा ही जाता है।औरत जब सफल हो जाती है तो उसका गुणगान किया जाता है और असफल होने पर उसकी महत्वाकांक्षा को कोसा जाता है।
मैं एक गरीब घर में पैदा हुई पर 'गुदड़ी में लाल'मुहावरे को चरितार्थ करती हुई यानी अपूर्व सुंदरी।मेरी माँ भी कम सुंदर नहीं थी,पर उसकी सुंदरता गृहस्थी की चक्की में पिसकर मटमैली हो गई थी।वह मेरे पिता की सम्पत्ति थी,जिसके साथ वे कुछ भी कर सकते थे।उन्होंने उसे बच्चा पैदा करने की मशीन बनाकर रख दिया।मैं कुदरत की दी हुई सुंदरता का इस तरह अपमान नहीं करना चाहती थी।मैं अपनी सुंदरता को कामयाबी का हथियार बनाना चाहती थी।मैं चाहती थी कि मेरे रूप के चर्चे सारी दुनिया में हो।मैं नृत्य,संगीत और अभिनय कला में भी निपुण थी।मैं एक कामयाब हीरोइन बनना चाहती थी।
ये सच था कि मेरा बैकग्राउंड अच्छा नहीं था और न ही कोई गॉडफादर मुझे मिला था।मैं अकेली किस दिशा में जाऊँ,समझ नहीं पा रहा थी।मैं ये भी पढ़ चुकी थी कि हीरोइन बनने के लालच में कई लड़कियाँ घर से भागती हैं और आखिर में किसी चकले की रौनक बन जाती हैं ।मैं ऐसे किसी गड्ढे में गिरने को तैयार नहीं थी।
मेरे घर वाले मेरे मन में पल रहे मंसूबों से अनजान थे।वे तो मेरी शादी करके गंगा नहा लेना चाहते थे।मैंने अभी सत्रहवें वर्ष में प्रवेश किया था।मुझसे बड़ी दो बहनों की शादी हो चुकी थी और वे अपनी गृहस्थी में खुश थीं।मैंने अभी इंटरमीडिएट किया था,पर आगे पढ़ने के मूड में नहीं थी।
शादी भी नहीं करना चाहती थी।वैसे तो बहुत से लड़के मेरे दीवाने थे पर मुझे कोई पसंद ही नहीं आता था।प्रेम -प्यार के बखेड़े से मैं बहुत दूर थी।मैं रात- दिन ईश्वर से प्रार्थना किया करती थी कि कोई तो मेरी जिंदगी में ऐसा आए जो मेरे सपने को पूरा करने का रास्ता बना दे।
आखिर ईश्वर ने मेरी सुन ली।मेरी जिंदगी में रौनक आया।
ऊंचा -पूरा ,हैंडसम,गोरा -चिट्टा ,सजीला युवक रौनक मेरी बहन माया का देवर था।माया की डिलीवरी के समय जब मैं उसके ससुराल गई ,तो रौनक से मुलाकात हुई।बहन की शादी के वक्त वह नहीं आ पाया था क्योंकि उस समय वह विदेश में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहा था।
रौनक को जब मैंने देखा तो पहली ही नज़र में उसे अपना दिल दे बैठी।अब तक तो पहली नज़र का प्यार मुझे फिल्मी ही लगता था।रौनक को भी मैं भा गई थी।बहन के घर मैं एक महीने रही और चोरी -छिपे हमारा प्यार चलता रहा।किसी को कानो -कान खबर नहीं हुई।कभी हम छत पर मिलते तो कभी बागीचे में।सबके बीच भी आंखों ही आंखों में बतियाते रहते।मैं भूल चुकी थी कि मुझे हीरोइन बनना है।मैं अपनी असल जिंदगी में ही हीरोइन बन गई थी। बहन के घर से अपने घर लौटी तो मेरा सुख -चैन छिन गया।रौनक के बिना जीना मुश्किल लगने लगा।मैं उदास रहने लगी।हालांकि कभी -कभार हम बाहर मिल लेते थे और फोन पर भी बातें हो जाती थीं,पर यह सब बहुत कम लगता था।मैंने सोच लिया या तो रौनक को पाना है या मर जाना है।उधर रौनक का हाल भी मुझसे बेहतर न था।
एक दिन मैं फोन पर रौनक से वीडियो चैट कर रही थी कि अचानक माँ आ गई।उसने हमारी बात सुन ली थी।फिर तो घर में जो हंगामा हुआ,उसका जिक्र न ही करूँ तो अच्छा। जवान लड़की थी,इसलिए मार -कुटाई तो नहीं हुई पर शब्दों के तीर -कमान खूब चलाए गए।मेरा फोन छीन लिया गया।मुझ पर तमाम प्रतिबंध लगा दिए गए।मैं तड़प उठी।
उधर रौनक के घर वालों ने भी उसे समझाया कि एक घर में दो बहनें ठीक नहीं होतीं,इसलिए वह मुझे भूलकर उनकी पसंद की लड़की से शादी कर ले, पर रौनक ने जिद पकड़ ली कि या तो कामिनी या फिर कोई नहीं।वह सचमुच मुझसे सच्चा प्यार करता था।आखिर उसकी जिद के आगे उसके घर वाले हार गए।उन्होंने मेरी बहन को आगे कर दिया।बहन ने अपने माता -पिता को मना लिया।यानी मेरे घर वाले भी इस शादी के लिए मान गए।
हमारी शादी पक्की हो गई।हमारे ऊपर से सारे प्रतिबंध हटा लिए गए।अब हम कहीं और कभी भी मिल सकते थे। हमने शादी से पहले खूब रोमांस किया।खूब घूमे -फिरे, सिनेमा देखा और जी -भरकर बातें की।
रौनक से मैंने अपनी महत्वाकांक्षा के बारे में बताया तो वह बहुत खुश हुआ।उसने इस पर कोई एतराज नहीं किया।उसने मुझे आश्वस्त किया कि वह पूरा प्रयास करेगा कि मेरी महत्वाकांक्षा पूरी हो सके।वह सच्चा,सुलझा हुआ विचारशील पुरूष था।स्त्री पुरूष में किसी भी तरह के भेद-भाव के सख़्त ख़िलाफ़।हालाँकि उसके घर वाले मेरे घर वालों की तरह ही पुरानी विचारधारा के थे।उन्हें तो ग्लैमर की दुनिया कोई तीसरी दुनिया ही लगती थी।अपने घर की बेटी को भी वे उस दुनिया में जाने नहीं देते ,बहू तो खैर बहू ही होती है।मुझे विश्वास नहीं था कि रौनक अपने घर वालों से मुझे ग्लैमर की दुनिया में जाने की स्वीकृति दिला पाएगा।मैंने अपनी महत्वाकांक्षा को भूल जाना ही उचित समझा।वैसे भी उन दिनों रौनक के सामने मुझे सब कुछ फ़ीका लगता था,अपनी महत्वाकांक्षा भी।
रौनक से मेरी शादी बड़ी धूमधाम से हुई।मैं बहुत खुश थी।मुझे एक ऐसा परिवार मिला था,जो मुझे बहुत प्यार करता था।मैंने भी भारतीय आदर्श बहू की छवि को अपना लिया था।सब कुछ अच्छा था।ज़िंदगी मज़े से गुजर रही थी कि एक दिन अचानक रौनक ने मेरे सामने एक फैशन -विज्ञापन का प्रस्ताव रख दिया।